अनुवा और उसकी माँ संताड़ी/संताली लोक-कथा
कभी पहले अनुवा नामक एक नवजवान अपनी बूढ़ी माँ के साथ रहता था और वह एक खेतिहर था, जब वह अपने खेत में जुताई कर रहा होता तो उसकी बूढ़ी माँ उसके लिए कलेवा ले कर जाया करती थी। एक दिन जब वह खेत में अपने बेटे के लिए जलपान ले कर जा रही थी तो रस्ते में एक सियार मिला और कहा जो भी भोजन ले कर जा रही हो उसे नीचे रख दो नहीं तो मैं तुम्हें टक्कर मार कर गिरा दूँगा और काट खाऊंगा; अनुवा की माँ ने सियार के भय से आतंकित हो कर खाना नीचे रख दिया सियार उसमें से ज्यादा हिस्सा खा कर अपने रस्ते चला गया, बूढ़ी बचा हुआ आहार ले कर अपने बेटे के पास चली गई लेकिन इस घटना के बारे में अनुवा से कुछ नहीं कहा।
यह अनुक्रम कई दिनों तक चलता रहा; अंततः एक दिन अनुवा ने अपनी माँ से पूछा की इतने अस्त व्यस्त ढंग से रख कर इतना कम भात क्यों लाई हो। तब माँ ने बताया कैसे एक सियार प्रत्येक दिन आक्रमण करके सब भोजन हड़प कर खा जाता है। तब उन्होंने मिल कर एक योजना बनाई- अगले दिन माँ जुताई करने के लिए खेत में जाएगी, जबकि अनुवा बुढ़िया का वेश बना कर अल्पाहार ले कर पीछे से आएगा। उन्होंने ऐसा ही किया सियार अनुवा से पहले की तरह से मिला और विवश किया की वह नाश्ता का चंगेली नीचे रखे, परन्तु सियार जब खा रहा था तब अनुवा ने सियार को लाठी के पिछला हिस्सा से दे मारा; और सियार अनुवा को घुड़की देते हुए भला-बुरा कहते हुए वहां से उठा और भागा, उसने धमकी दिया कि खेत में मल्हान (सेम) का जो फसल लगा हुआ है उसे नष्ट कर देगा। अनुवा ने अपने फसल को काँटों से घेर कर एक बाड़ लगा दिया। जब भी सियार रात में आ कर फली को खाने की कोशिश करता उसके नासिका में केवल तीखा कांटा ही चुभता।
इस प्रयास में विफल होने पर सियार ने कहा– अच्छा, मैं कल तुम्हारा मुर्ग़ी खा जाऊँगा। लेकिन अनुवा अगले रात को मुर्ग़ी के घर में हंसिया ले कर बैठ गया और जब सियार आया तो उसके माथा में हंसिया चुभा दिया। अनुवा ने हंसिया से एक धौल उसके थूथन पर मारा, सियार दर्द से चिल्लाने लगा और कहा अच्छा अनुवा तुम्हारी मुर्गियों ने मेरे माथा पर चोंच मारा है, अब तुम मर जाओगे। अगले दिन अनुवा ने मरने का स्वांग किया और उसकी माँ रोने भी लगी; बूढ़ी माँ जंगल में गई और वहाँ उसने सियार से मुलाकात करके कहा की अनुवा तुम्हारे श्राप के कारण परलोक सिधार गया, इसलिए मैं तुम को अंतिम संस्कार के जेवनार में न्योता देने आई हूँ, तुम मेरा बनाया हुआ भात खाते थे मैंने वह पकाया है और अब तुम मेरे बेटे जैसे हो गए हो। सियार बड़े ही प्रसन्नता से इस अवसर पर उपस्थित होने का वचन दिया, उसने पर्याप्त संख्या में अपने मित्रों को इकट्ठा किया संध्या को अनुवा के घर गया और घर के आँगन में बैठ गया।
बुढ़िया घर से बाहर आई और अपने बेटे के मृत्यु पर विलाप करने लगी। सियार ने कहा रोना बंद करो मातामही, मरा हुआ व्यक्ति वापस आ नहीं सकता, चलो हम सभी को भोज खिलाओ। बुढ़िया बोली पहले वह कुछ मीठी रोटी तलेगी, इसलिए कुछ समय लगेगा लेकिन तब तक भात तैयार हो जाएगा। सभी सियार इसके लिए सहमत हो गए परन्तु उन्होंने बुढ़िया को कहा पहले हम सभी को एक रस्सी से बाँध दो, भोजन आने पर खाने के लिए आपस में झगड़ाना ठीक नहीं। बुढ़िया ने सभी सियारों को एक मोटा रस्सी से बाँध दिया और जिस सियार ने अनुवा को शाप दिया था उसे सबसे ज्यादा कस कर बाँध दिया और तब वह घर के अंदर जा कर लोहे के तवे को आग पर रख दिया बीच-बीच में उस पर पानी का छिड़काव करती रहती थी। जब सियारों ने पानी के फुफकार के आवाज को सुना और तो उन्होंने सोचा की यह मीठी रोटी के तलने की आवाज है और वे खुशी के मारे उछलने लगे।
अचानक अनुवा एक मोटा डंडा ले कर घर से बाहर आया और सियारों की पिटाई तब तक करता रहा जब तक की वे सभी रस्सी तोड़ कर प्राण बचा कर भागे। लेकिन पहला सियार अधिक मजबूती से बंधा होने के कारण भाग नहीं सका, और अनुवा उसकी पिटाई तब तक करता रहा जब तक वह बेसुध न हो गया, वह उसी तरह बीना हीले-डुले पूरी रात पड़ा रहा। अगले सुबह अनुवा सियार को उस जगह पर ले गया जहाँ गांव की महिलाएँ पानी लेने आती थीं। वहां अनुवा ने सियार को बांधने के अलावा एक डंडा भी रख दिया, प्रत्येक महिला जो पानी लेने आती सियार को एक डंडा जमा जाती। कुछ दिनों के बाद पिटाई के कारण सियार का शरीर फूल गया और एक रात कुछ सियार वहां आये और पूछा की तुम क्या खा कर इतने मोटा-तगड़ा हो गये हो वह बोला सभी कोई जो पानी लेने आता है मुझे एक मुट्ठी भात देता है। भात खाने के कारण इतना मोटा हो गया हूँ। यदि तुम लोगों को मुझ पर विश्वास नहीं है तो तुम में से कोई मेरा स्थान ले के स्वयं ही परीक्षण करके देख सकता है।
इसके परीक्षण के लिए एक सियार तैयार हो गया और उसने पहले सियार के रस्सी को खोल के उसके स्थान पर स्वयं को बंधवा लिया, अगले दिन सुबह पाँच महिलाऐं आई और प्रत्येक ने सियार को एक डंडा लगाया जिस के कारण दर्द से सियार उछलने लगा, उसे उछलता देख दुसरी महिलाऐं भी उसकी पिटाई करने लगी और वह पिटाई के कारण सियार की मृत्यु हो गई।
कहानी का अभिप्राय: अनावश्यक चतुराई दिखाने से फंसा हुए सियार जैसी दुर्दशा हो सकती है।
(Folklore of the Santal Parganas: Cecil Heny Bompas);
(भाषांतरकार: संताल परगना की लोककथाएँ: ब्रजेश दुबे)